BA Semester-2 Ancient Indian History and Culture - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 10

हूण आक्रमण

(Huna Invasion)

प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।

अथवा
तोरमाण की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
अथवा
हूण आक्रमण का नेता 'तोरमाण' के विषय में आप क्या जानते हैं?
अथवा
हूणों की उत्पत्ति तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
हूण कौन थे? उनके आक्रमण के विषय में सविस्तार टिप्पणी लिखिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. हूण कौन थे? संक्षेप में बताइए।
2. हूण शक्ति का पहला भारतीय आक्रमण कब हुआ?
3. तोरमाण के विषय में आप क्या जानते हैं?
4. तोरमाण पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-

हूण कौन थे?

हूण मध्य एशिया में निवास करने वाली एक बर्बर और खानाबदोश जाति थी। इस जाति का चीनी नाम,हुंग-नु (Hiung-Nu ) था जिसे भारतीय साहित्य और अभिलेखों में हूण कहा गया। ये दूसरी शताब्दी ई. पू. के मध्य एशिया में चीन की पश्चिमी सीमा पर रहते थे। लूटमार द्वारा आतंक फैलाना इनकी जीवन- पद्धति का अंग बन गया था। ये पारस्परिक कलह एवं जनसंख्या की वृद्धि के कारण अपने मूल स्थान पर बने न रह सके। अतः इन्हें वह स्थान छोड़कर आगे पश्चिम की ओर बढ़ना पड़ा। पश्चिमी सीमा पर निवास करने वाली 'यू-ची जाति को हूणों ने वहाँ से उखाड़ फेंका और ये वहीं बस गये। परन्तु वहाँ भी अधिक समय तक न रह सके क्योंकि उस क्षेत्र की भूमि बंजर होने के कारण वहाँ इनके परिवार का भरण-पोषण सम्भव न हो सका। कालान्तर में इनकी दो शाखाएँ हो गईं-

(i) पश्चिमी शाखा
(ii) पूर्वी शाखा

पश्चिमी शाखा के हूण यूराल पर्वत पार करते हुए रोम पहुँचे। वहाँ रोमन साम्राज्य को इन्होंने बहुत अधिक नुकसान पहुँचाया। हूणों की पूर्वी शाखा क्रमशः दक्षिण की ओर बढ़ी तथा आक्सस नदी घाटी में बस गयी। इसी शाखा ने भारत पर कई आक्रमण किये जिनमें सबसे पहले आक्रमण का ज्ञान गुप्त सम्राट स्कन्दगुप्त के समय में प्राप्त होता है। स्कन्दगुप्त के हाथों उन्हें करारी पराजय का सामना करना पड़ा और उनका अभियान असफल रहा।

तोरमाण एवं उसकी उपलब्धियाँ

स्कन्दगुप्त की मृत्यु के बाद हूणों ने गंगा घाटी पर पुनः आक्रमण कर दिया। इसका नेता 'तोरमाण' था। तोरमाण एक शक्तिशाली शासक था। मध्य भारत के एरण नामक स्थान से एक लेख द्वारा ज्ञात होता है कि धन्यविष्णु उसके शासनकाल के प्रथम वर्ष में उसका सामन्त था। ऐसा माना जाता है कि गुप्त शासक बुद्धगुप्त की मृत्यु के बाद ही ( लगभग 500 ईस्वी के बाद ही) तोरमाण का इस क्षेत्र पर अधिकार हो पाया था, क्योंकि स्वयं बुद्धगुप्त के ऐरण से ही प्राप्त एक लेख से इस बात की पुष्टि होती हैं कि यहाँ उसका सामन्त मातृविष्णु शासन करता था।

पंजाब के कूरा (कर) नामक स्थान से तोरमाण का एक अन्य लेख मिला जिसमें उसे 'पाहिजऊब्ल' कहा गया है। 'जऊब्ल' तुर्की भाषा का शब्द है जिसका हिन्दी रूपान्तरण सामन्त होता है। बूलर तथा कीलहार्न जैसे विद्वान कूरा लेख के तोरमाण को ऐरण लेख वाले तोरमाण से भिन्न मानते हैं क्योंकि प्रथम को सामन्त कहा गया है जबकि दूसरे को 'महाराजाधिराज'।

तोरमाण ने ऐरण की विजय प्राप्त करने के पश्चात् अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर दी। स्वतन्त्र होने के बाद भी वह 'जऊब्ल' की उपाधि धारण करता रहा, क्योंकि वह इसी रूप में विख्यात था। कौशाम्बी से उसकी दो मुहरें मिली हैं जिनमें से प्रथम के ऊपर 'तोरमाण' तथा द्वितीय के ऊपर 'हूणराज' उत्कीर्ण है। इससे ज्ञात होता है कि उसने कौशाम्बी तक का प्रदेश जीत लिया था।

भारत में हूण सत्ता का वास्तविक संस्थापक तोरमाण ही था। उसने गन्धार से बढ़ते हुए मालवा तक विजय प्राप्त की। तोरमाण ने 500 ई. के आसपास भारत पर भी आक्रमण किया और नरसिंहगुप्त को पराजित करके मालवा पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। उसने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की। तोरमाण का प्रभुत्व क्षेत्र भारत में नमक की पहाड़ी और मध्य भारत था। ह्वेनसांग के अनुसार, "तोरमाण ने प्रकाराख्य को कारागार से मुक्त करके उसे पाटलिपुत्र भेज दिया था और काशी में उसे मगध के सिंहासन पर बैठाया। तोरमाण का साम्रज्य फारस से मध्य भारत तक फैला था। उसने अपना केन्द्र स्थान भारत को बनाया। उसने गुप्त साम्राज्य की निर्बलता का लाभ उठाकर अपने राज्य को विस्तृत किया। अभिलेखों से ज्ञात होता है कि बुद्धगुप्त के अन्तिम समय में या तुरन्त बाद तोरमाण ने नरसिंहगुप्त के समय मालवा पर अधिकार कर लिया होगा। पर वहाँ पश्चिमी मालवा के मैत्रक शासकों ने उसे हूणों से बचा लिया था। पीछे तोरमाण ने पूर्वी मालवा से निकलकर मगध पर आक्रमण किया। आर्य-मंजु श्रीमूलकल्प के अनुसार इसने यहाँ से आगे बढ़कर इसी समय गौढ़ प्रदेश पर भी अपना अधिकार कर लिया। इसी ग्रन्थ से ज्ञात होता है कि नरसिंहगुप्त ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी। ह्वेनसांग हूणों द्वारा नरसिंहगुप्त की पराजय का उल्लेख करता है कि कुछ समय बाद जब बालादित्य ने कर देना बन्द कर दिया तब तोरमाण के पुत्र मिहिरकुल ने पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया जिसमें मिहिरकुल को पराजित होना पड़ा। अतः अब हूणों का शासक मिहिरकुल हो गया था।

इस प्रकार स्पष्ट है कि तोरमाण एक महान विजेता तथा शक्तिशाली राजा था जिसके नेतृत्व में अल्पकाल में ही हूणों ने समस्त उत्तरी तथा पूर्वी भारत के एक बड़े भू-भाग को जीत लिया। तोरमाण की राजनैतिक उपलब्धियाँ सिकन्दर तथा मेनाण्डर से किसी भी अर्थ में कम नहीं थीं, बल्कि कुछ अर्थों में वह इन दोनों विजेताओं से बढ़कर ही था। भारत की विजय करने वाला यह पहला ऐसा विदेशी शासक था जिसने मध्य ऐशिया से मध्य भारत तक अपना साम्राज्य स्थापित किया। वह एक क्रूर विजेता ही नहीं अपितु योग्य एवं कूटनीतिज्ञ शासक भी था। यह अनुमान लगाया जाता है कि उसकी मृत्यु 515 ईस्वी में हुयी।

मिहिरकुल

यह तोरमाण का पुत्र था जो उसकी मृत्यु के पश्चात् गद्दी पर बैठा। मिहिरकुल अत्यन्त क्रूर एवं अत्याचारी हूण शासक था। उसे शासन के 15 वें वर्ष का लेख ग्वालियर से मिलता है। उसके शासन के विषय में चीनी यात्रियों-सुग-युग और ह्वेनसांग तथा यूनानी लेखक कास्मस के विवरणों से भी जानकारी मिलती है। सुंग-युन के अनुसार मिहिरकुल की राजधानी गन्धार थी और वह बौद्ध विरोधी था। ह्वेनसांग उसकी राजधानी शाकल बताता है तथा लिखता है कि वह भारत के बड़े भाग का स्वामी था। उसने पड़ोसी राजाओं की विजय की तथा पञ्च भारत का स्वामी बन गया। मिहिरकुल ने मगध के शासक बालादित्य पर आक्रमण किया किन्तु पराजित हुआ और बन्दी बना लिया गया। बाद में बालादित्य ने अपनी माता के कहने में आकर उसे छोड़ दिया। इसी बीच उसके भाई ने उसके राज्य के ऊपर अधिकार कर लिया। इसके बाद वह कश्मीर भागा जहाँ के राजा ने उसे शरण दी। परन्तु वह इतना कृतघ्न था कि कश्मीर के शासक की हत्याकर स्वयं राजा बन बैठा। तत्पश्चात् गन्धार के राजा की भी उसने हत्या कर दी तथा 1600 स्तूपों एवं संधारामों को नष्ट करवा दिया। इसके एक वर्ष के भीतर ही उसकी मृत्यु हो गयी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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